सुप्रीम कोर्ट ने करीब 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की दी इजाजत, जानिए पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की रेप विक्टिम को करीब 30 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन कराने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के लोकमान्य तिलक अस्पताल को तत्काल अबॉर्शन के लिए इंतजाम करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को इस मामले में अर्जेंट सुनवाई की थी, जिसमें कोर्ट ने लड़की का मेडिकल कराने का आदेश दिया था। जिसके बाद आज सुबह अस्पताल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा, हम अबॉर्शन की इजाजत इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि यह असाधारण मामला है। हर घंटा विक्टिम के लिए अहम है। बेंच ने कहा, मेडिकल रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि प्रेग्नेंसी जारी रखने से विक्टिम की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर असर पड़ेगा। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अबॉर्शन कराने में थोड़ा रिस्क तो है, लेकिन प्रेग्नेंसी जारी रखने में और भी बड़ा रिस्क है। इस मामले में IPC की धारा 376 और POCSO एक्ट में केस दर्ज है। CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने पिछली सुनवाई में कहा था कि यौन उत्पीड़न को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने जिस मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा किया, वह नाबालिग पीड़ित की शारीरिक और मानसिक कंडीशन का आकलन करने में विफल रही है।

दरअसल, नाबालिग की मां ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बीते महीने बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग को अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी। इसके बाद लड़की की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए नाबालिग का मेडिकल चेकअप कराने का आदेश दिया था। बेंच ने पिछली सुनवाई में निर्देश दिया था कि महाराष्ट्र सरकार याचिकाकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी को सेफ्टी के साथ अस्पताल ले जाना तय करे। जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड इस बात पर भी राय दे कि क्या नाबालिग के जीवन को खतरे में डाले बिना अबॉर्शन किया जा सकता है। यही मेडिकल रिपोर्ट आज कोर्ट में पेश की गई, जिसके आधार पर फैसला सुनाया गया।

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