Ajay Devgn की मैदान मूवी रिव्यु फर्स्ट हाफ बोरिंग सेकंड हाफ है जबरदस्त



ताहिर जासूस – फिल्म मैदान मैं रहीम अब अजय देवगन फुटबॉल के कोच उनका सपना होता है कि फुटबॉल को भारत में वह स्थान दिला सके और नंबर वन बना सके जो की अन्य खेलों का है और यह उनका सपना होता है कि वह फुटबॉल को नंबर वन के  पद पर ला सके। इस फिल्म में हम जोश जज्बा इमोशन आलोचना राजनेताओं को मानने  क्षेत्रवाद जैसी कई ऐसी  घटनाएं इस फिल्म में हमें देखने मिलेगी।

इस फिल्म की कहानी की शुरुआत अपनी फुटबॉल टीम बनाने से शुरू होती है जो की सिकंदराबाद से लेकर कोलकाता पंजाब कर्नाटक तथा अन्य राज्यों से 11 खिलाड़ियों की तलाश को पूरा करते हुए रहीम अपनी एक सफल फुटबॉल टीम बना लेते हैं। 1952 से लेकर 1962 तक फुटबॉल टीम के कोच रहे सैयद अब्दुल रहीम के नेतृत्व में टीम को ब्राजील ऑफ एशिया का दर्जा मिला था। उन्हीं की जीवन पर आधारित यह फिल्म मैदान बनी है।

जब वह 11 खिलाड़ियों की तलाश को पूरा कर अपनी टीम बनाने के बाद जब वह मैदान में जाते हैं और खेलते हैं तो किसी को सर पर चोट लगी है किसी का पैर  में मोच आई  उनका पहला मैच बिना जूते के यानी नंगे पैर खेलते हैं और जब भारत 1960 में पहला मैच हार जाते हैं।  तब उन्हें फुटबॉल के कोच पद से हटा दिया जाता है। और नए कोच को उनकी जगह पर रख दिया जाता है ले लिया जाता है इसके बाद उन्हें अपने ही लोगों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है कई बातें सुननी  पड़ती है ।

उनके जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उन्हें पता चलता है कि उन्हें  फेफड़े का कैंसर है और उनके पास कुछ ही साल बच्चे हैं जीने के यह वह समय होता है जब यह  दृश्य  एकदम भावुक कर देता  है जिसे देख दर्शक की आंखों में आंसू आ जाएंगे क्योंकि इसमें रहीम फुटबॉल के एकमात्र ऐसे कोच होते हैं जो अपने साथ तथा अपने खिलाड़ियों को और देश को आगे ले जाने का हौसला रखते हैं।

इस फिल्म में रहीम की पत्नी का किरदार निभाने वाली (प्रियामणि) सायरा ने बहुत अच्छे से इस रोल को जस्टिफाई किया है। जब रहीम अपने परिवार के साथ समय बिताने का फैसला करते है, तब उनकी पत्नी उसे समय उन्हें प्रेरित करती है तथा उनके अंदर वापस आत्मविश्वास जगाने का प्रयास करती है वह कहती है  कि जितना समय बचा है उसमे अपना सपना पूरा करने में लगाओ ना कि यहां सो कर मरने का इंतजार मत करो फिर क्या यही से रहीम की जिंदगी में एक नया मोड़ आता है।

इस फिल्म में 11 खिलाड़ी हैं उन 11 खिलाड़ियों का किरदार निभाने वाले कलाकार बहुत अच्छा अभिनय किया है काफी प्रशासनीय वाला काम किया है।  हम कह सकते है कि जिस तरीके से अजय देवगन प्रियामणि का काम सराहनीय है उसी तरह अन्य कलाकारों  का भी काम सराहनीय हैं।

कुछ जगह में फिल्म बहुत धीमी रही जो थोड़ा समय के लिए बोर कर सकती है। इंटरवल के बाद से फिल्म में तेजी आई है दर्शकों को बांधे रखने का काम अच्छे से किया है । इस फिल्म में एक छोटा सा दृश्य है जिसमें बाप बेटे का संवाद होता है, जहां एक बेटा कहता है कि अब्बा गलत हो सकते हैं अपने बेटे के लिए पर एक कोच अपने खिलाड़ियों के लिए कभी गलत नहीं हो सकता कोच रहीम नहीं।

बात करें संगीत की तो अंतिम मैच के दौरान ए आर रहमान का बैकग्राउंड वॉइस और उनकी आवाज में गाना इंडिया है हम गाना जोशीला है और इसका डायरेक्शन अमित शर्मा ने बहुत अच्छे से किया है टीम इंडिया के मैच के सीन  को गोल को किक को बहुत अच्छे से दिखाया हैं।

लास्ट मैच जब टीम इंडिया कोरिया से जीती है तो ऐसा लगता है कि हम वहां स्टेडियम में बैठकर मैच देख रहे हैं और अपने टीम के लिए चियरअप कर रहे हैं। फिल्म ने पूरा ऐसा माहौल बना दिया है थिएटर के अंदर कि ऐसा लगता है कि हम स्टेडियम में बैठकर मैच देख रहे हैं कहना गलत नहीं होगा कि चक दे इंडिया को अगर कोई टक्कर दे सकता है ,तो यह फिल्म “मैदान” है।

Jasus is a Masters in Business Administration by education. After completing her post-graduation, Jasus jumped the journalism bandwagon as a freelance journalist. Soon after that he landed a job of reporter and has been climbing the news industry ladder ever since to reach the post of editor at Our JASUS 007 News.