होली का इतिहास ! जानिए होली क्यों मनाई जाती है ! HOLI FESTIVAL

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होली की कथा क्या है

मान्यता है कि राजा हिरण्यकश्यप को अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. अंहकार में चूर हिरण्यकश्यप भगवान को भी चुनौती देने लगा. वह अपनी प्रजा पर स्वयं की पूजा करने का दबाव बनाने लगा. वह खुद को भगवान मानने लगा. लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त थे. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को ऐसा करने से रोका लेकिन प्रहलाद नहीं माने इससे हिरण्यकश्यप बहुत नाराज हो गया और प्रहलाद को यातनाएं और पीड़ा देने लगा. आठ दिनों तक लगातार हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर तरह के जुल्म किए. जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया. होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था. लेकिन होलिका जैसे ही प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वह जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित आग से बाहर निकल आए. तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.

होलिका दहन के अगले ही दिन रंगों का यह त्योहार मनाया जाता है. अब आप सोचेंगे कि रंग होली में कैसे आया. दरअसल माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ. वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मनाते थे.

इस त्योहार का संबंध फसल पकने से भी है

होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियां खत्म होती हैं. कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है. किसान अच्छी फसल पैदा होने की खुशी में होली मनाते हैं. होली को ‘वसंत महोत्सव’ या ‘काम महोत्सव’ भी कहते हैं.

 

 

 

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