कौन हैं हरदीप सिंह बुटेरला? गांवों में दबदबा, 3 बार जीत चुके; आप में जाकर अकाली दल को दिया झटका

लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन से एक दिन पहले अकाली दल से इस्तीफा देने वाले बुटेरला आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. चुनाव के बीच उनका जाना अकाली दल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. नामांकन से एक दिन पहले उन्होंने अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. वर्तमान में हरदीप बुटेरला चंडीगढ़ नगर निगम में पार्षद हैं। वह सीनियर डिप्टी मेयर रह चुके हैं। वह पहले भी दो बार निगम चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने चुनाव न लड़ने की वजह पैसे की कमी बताई.

हरदीप ने पार्टी पर उनका समर्थन न करने का आरोप लगाया. जिसके बाद उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. बुटेरला ने कहा कि उन्हें पार्टी से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है. टिकट देने से पहले पार्टी ने आश्वासन दिया था कि उनका पूरा ख्याल रखा जाएगा. हर पहलू को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा जाएगा, लेकिन कोई वरिष्ठ नेता मदद के लिए नहीं आया। पार्टी ने अपनी चंडीगढ़ इकाई के प्रति उदासीनता अपना रखी है. जिसके चलते मैं कड़ा फैसला ले रहा हूं.’

हरदीप सिंह बुटारला गांव का रहने वाला है. माना जाता है कि 41 साल के हरदीप की चंडीगढ़ की सीमा से लगे गांवों के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है। इससे पहले उनके पिता गुरनाम सिंह 2006 में और भाई मलकियत सिंह 2011 में पार्षद चुने गए थे। इसके बाद जब उनके भाई मलकियत सिंह की मृत्यु हो गई, तो हरदीप ने 2015, 2016 और 2021 में लगातार जीत दर्ज की। वह सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। 2018 में हरदीप सिंह को शिअद ने चंडीगढ़ अध्यक्ष नियुक्त किया था.

चंडीगढ़ सीट पर 1 जून को मतदान होगा

करीब 20 दिन पहले अकाली दल ने उन्हें टिकट दिया था. इसके बाद किसी ने उसकी खैर खबर नहीं ली. यह कोई निगम चुनाव नहीं है, जो वे अपने दम पर लड़ेंगे. अकेले प्रचार से काम नहीं चलेगा. उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हर सहयोग की जरूरत थी। पार्टी छोड़ने से पहले उन्होंने कहा कि उन्होंने संगठन से बात की है. अकाली दल ने उन्हें चंडीगढ़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. चंडीगढ़ सीट पर 1 जून को मतदान होना है।

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