उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बारिश या क्लाउड सीडिंग के भरोसे ना रहे, जल्द उपाय करे, जानिए पूरा मामला

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि बारिश या कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) के भरोसे नहीं बैठा जा सकता। इसकी जल्द रोकथाम के उपाय करें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने कोर्ट में अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट भी पेश की। उत्तराखंड सरकार ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच को बताया कि नवंबर 2023 से अब तक जंगलों में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार ये आग इंसानों द्वारा लगाई गई। सरकार के वकील उपमहाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि उत्तराखंड के जंगलों का सिर्फ 0.1% हिस्से में ही आग चपेट में है। इस मामले में अब 15 मई को सुनवाई होगी।

आपको बता दें, उत्तराखंड में अप्रैल के पहले हफ्ते से लगी आग से अब तक 11 जिले प्रभावित हुए हैं। इसमें गढ़वाल मंडल के पौड़ी रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी ज्यादा प्रभावित हैं और देहरादून का कुछ हिस्सा शामिल है। जबकि कुमाऊं मंडल का नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ ज्यादा प्रभावित हैं।जंगलों की आग में झुलसने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है और चार लोग गंभीर रूप से घायल है। आग से 1316 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। वन विभाग, फायर ब्रिगेड, पुलिस के साथ-साथ सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं। आर्मी एरिया में आग पहुंचती देख एयरफोर्स के MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद ली गई है।

अभी तक सरकार द्वारा उठाए गए कदम –  

  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काम में लापरवाही बरतने पर अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
  • शहरी क्षेत्र में वनों के आसपास कूड़े के ढेर में आग लगाने पर भी पूर्ण रोक लगाई गई है।
  • आग बुझाने के लिए मुख्य रूप से झाप (हरे पत्तों की लकड़ी) लोहे और स्टील के झांपा इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
  • आग लगाने के मामलों में 383 केस दर्ज किए हैं। इसमें 315 अज्ञात लोगों के खिलाफ, जबकि 59 मामले नामजद दर्ज किए गए हैं।
  • प्रदेशभर में 3700 कर्मचारियों को आग बुझाने के लिए लगाया गया है। 
  • इसके अलावा पीआरडी, होमगार्ड, पीएससी, युवा और महिला मंगल दलों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है।
  • बार-बार इस आग की घटनाओं में लिप्त पाए जाने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। खेतों में फसल कटाई के बाद पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
  • प्रदेशभर में आग की घटनाओं को रोकने के लिए 1438 फायर क्रूज स्टेशन बनाए गए हैं, जिसमें तकरीबन 4000 फायर ब्रिगेड को तैनात किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *