कोलकाता रेप-मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। CJI ने कहा, व्यवस्था में सुधार के लिए हम और एक रेप का इंतजार नहीं कर सकते। डॉक्टर्स की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए टास्क फोर्स बना रहे हैं, इसमें 9 डॉक्टर्स को शामिल किया गया है, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगी। टास्क फोर्स में केंद्र सरकार के पांच अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि, घटना के बाद प्रिंसिपल ने इसे सुसाइड क्यों बताया। CBI से 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट और राज्य सरकार से घटना की रिपोर्ट मांगी है। RG कर अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा CISF को दिया गया। केस की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी। उधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी। वहीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर सौरव गांगुली 21 अगस्त को पत्नी डोना के साथ प्रदर्शन करेंगे। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने सुप्रीम कोर्ट के नेशनल टास्क फोर्स बनाने के फैसले का स्वागत किया है। दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या की गई थी। उसके बाद डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया। देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। वहीं 14 अगस्त की देर रात इसी अस्पताल में भीड़ ने घुसकर तोड़फोड़ की थी।
SC ने कहा, एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकते, कोलकाता रेप एन्ड मर्डर केस में बनाई टास्क फोर्स, जानिए पूरा मामला
CJI ने कहा, पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों पर बल का बिल्कुल भी प्रयोग न करें। एफआईआर दर्ज करने में बेवजह देरी हो रही है। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तोड़फोड़ करने वालों को पकड़ा जाए। 9 अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल में पीजी डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया। उसकी हत्या कर दी गई। इस क्रूरता ने अंतरात्मा को झकझोर दिया है। जब प्रिंसिपल का आचरण जांच के दायरे में है तो उसको तुरंत दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे नियुक्त किया गया। कोलकाता के मामले में हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पीड़ित का नाम और फोटो, वीडियो सभी मीडिया में प्रकाशित हो रहे हैं। ग्राफिक में उसका शव दिखाया गया है, जो घटना के बाद का है। अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, रेजिडेंट और नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं मिल रही। संविधान के तहत समानता किस बात की है, अगर महिलाएं अपने वर्कप्लेस पर सुरक्षित नहीं रह सकतीं। यह सिर्फ कोलकाता के अस्पताल का नहीं, बल्कि यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। इसलिए स्वतः संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किए ये सवाल –
- अस्पतालों की सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं?
- क्या प्रवेश द्वार पर चेकिंग की सुविधा है?
- रेस्ट हाउस की संख्या कितनी है?
- ऐसे कमरों में क्या सुविधाएं दी जा रही हैं?
- क्या अस्पताल के सभी क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं?
- मरीजों की समस्या के समाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है या नहीं?
- क्या अस्पतालों के बाहर पुलिस चौकी है?
- क्या समस्याओं के समाधान के लिए इंटरनल कमेटियां हैं?
- कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक महीने के भीतर हलफनामे के साथ यह जानकारी देने को कहा है?
टास्क फोर्स के 5 सदस्य –
- भारत सरकार के कैबिनेट सचिव
- भारत सरकार के गृह सचिव
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव
- नेशनल मेडिकल कमीशन के अध्यक्ष
- नेशनल बोर्ड ऑफ इग्जामिनर्स के अध्यक्ष
नेशनल टॉस्क फोर्स में शामिल डॉक्टर –
- आरके सरियन, सर्जन वाइस एडमिरल
- डॉ. नागेश्वर रेड्डी, मैनेजिंग डायरेक्टर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी
- डॉ. एम. श्रीनिवास, डायरेक्टर AIIMS, दिल्ली
- डॉ. प्रतिमा मूर्ति, NIMHANS, बेंगलुरू
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, डायरेक्टर, AIIMS, जोधपुर
- डॉ. सौमित्र रावत, गंगाराम अस्पताल के मैनेजिंग मेंबर
- प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कार्डियोलॉजी हेड, AIIMS, दिल्ली
- प्रोफेसर पल्लवी सापरे, डीन- ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई
- डॉ. पदमा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, AIIMS