इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने देश के सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-8 (EOS-08) को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया। इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया, लॉन्चिंग सफल रही। उन्होंने पूरी टीम को बधाई दी। यह सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा से बाहर करीब 475 किमी ऊपर स्थापित किया गया। यह एक साल तक काम करेगा। EOS-08 सैटेलाइट का मकसद पर्यावरण और आपदा को लेकर सटीक जानकारी देना है। इससे पहले ISRO ने 15 अगस्त को लॉन्चिंग की तारीख तय की थी। फिर इसे एक दिन बाद लॉन्च किया गया। अंतरिक्ष में भेजे गए EOS-08 सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) और SiC-UV डोसीमीटर शामिल हैं।
ISRO की ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट 8 लॉन्चिंग सफल, एक साल का यह मिशन आपदा का देगा अलर्ट, जानिए पूरा मामला
आपको बता दें, EOIR पेलोड को आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी जैसे काम के लिए तस्वीरें खींचने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पेलोड दिन और रात में भी तस्वीरें खींच सकता है। GNSS-R पेलोड को समुद्र की सतह पर हवा का विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमता के लिए किया जाएगा। SiC UV पेलोड डोसीमीटर गगनयान मिशन के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों की निगरानी करेगा। ISRO के सबसे छोटे रॉकेट SSLV की यह तीसरी लॉन्चिंग है। इससे पहले दो प्रयास हुए थे। जिसमें इसरो को 2023 में सफलता मिली थी, जबकि 2022 में पहली कोशिश नाकामयाब हो गई थी। पहली SSLV लॉन्चिंग 9 अगस्त 2022 को हुई थी जो फेल हो गई थी। रॉकेट की लॉन्चिंग तो ठीक हुई थी, लेकिन बाद में रफ्तार और फिर रॉकेट के सेपरेशन के दौरान दिक्कत आई। इसके चलते तब SSLV की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया गया था। इसरो ने बताया था कि दोनों सैटेलाइट्स गलत ऑर्बिट में चले गए थे और ये किसी काम के नहीं रह गए थे। साथ ही SSLV की दूसरी लॉन्चिंग 9 फरवरी 2023 में हुई थी। SSLV ने जो 3 सैटेलाइट्स लॉन्च किए थे। उनमें अमेरिका जानूस-1, चेन्नई के स्पेस स्टार्ट अप का आजादी सैट-2 और इसरो का EOS-7 शामिल था। SSLV-D2 पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में 15 मिनट तक उड़ान भरी, इसके बाद सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में छोड़ दिया गया।