30 मार्च,
मुंबई, केंद्र सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत दो दिवसीय हड़ताल के कारण राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों का लेनदेन ठप हो गया है और सूक्ष्म और लघु उद्यमों के 35,000 रुपये से 40,000 रुपये के लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। करोड़ का नुकसान हुआ है। हड़ताल के दूसरे दिन बाजार में नकद लेनदेन लगभग ठप रहा। शनिवार से मंगलवार तक चार दिन सरकारी बैंक बंद रहने से आम उपभोक्ताओं को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
‘मार्च एंड’ के लिए बैंक जाने वाले प्रोफेशनल्स का जरूरी काम हड़ताल के चलते बाकी रह गया था। वित्तीय वर्ष होने के कारण बैंक अधिकारी बुधवार से अगले दो दिनों तक व्यस्त रहेंगे इसलिए ग्राहकों को समय नहीं दे पाएंगे। नतीजतन, इस सप्ताह पूरी इंडस्ट्री बिना बैंक के हो जाएगी। यह बात महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल एंड इकोनॉमिक डेवलपमेंट एसोसिएशन के संस्थापक और एसएमई चैंबर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष चंद्रकांत सालुंखे ने कही। हालांकि ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन वे आरटीजीएस एनईएफटी से ज्यादा लाभ नहीं लाते हैं। पिछले चार दिनों से चेक जारी करने की प्रक्रिया ठप है।
मुंबई में हर दिन हजारों करोड़ के चेक, मुंबई के क्लियरिंग हाउस का रोजाना करीब 1,000 करोड़ रुपये का कारोबार है। इसमें 12 राष्ट्रीयकृत बैंकों सहित सभी निजी बैंकों के चेक शामिल हैं। अर्थशास्त्री विश्वास उत्गी ने कहा कि छुट्टियों और साल के अंत में काम करने से लेनदेन पर पांच दिन का असर पड़ेगा।
कुछ गैर-भाग लेने वाले संगठनों की मदद से, सरकार को एक या दो लेनदेन की सूचना दी गई थी। दरअसल, हड़ताल से 70 से 75 फीसदी बैंक प्रभावित हुए। अगर सरकार हमारी मांगों की अनदेखी करती है और सम्मेलन में बैंकिंग संशोधन विधेयक पेश करती है, तो लड़ाई तेज हो जाएगी।
– देवदास मेनन, महासचिव, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ, यह एक बड़ा झटका है। पिछले सप्ताह जमा किए गए चेक नहीं मिलने से कर्ज ठप हो गया। सालुंखे ने कहा कि हालांकि बैंकों ने परवाह नहीं की, लेकिन उद्यमियों को भारी नुकसान हुआ।