विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। यह दो साल में दूसरी बार था जब इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी बताया गया। इस वायरस का नया स्ट्रेन (Clad-1) पिछले स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा संक्रामक है और इसकी मृत्यु दर भी ज्यादा हैं। मंकीपॉक्स के पब्लिक इमरजेंसी घोषित होने के 15 दिन के अंदर भारत ने इस संक्रमण की जांच के लिए RT-PCR किट डेवलप कर लिया है। इस किट का नाम IMDX Monkeypox Detection RT-PCR Assay है और इसे सीमेंस हेल्थीनीयर्स ने तैयार किया है। कंपनी के मुताबिक इस किट से सिर्फ 40 मिनट में टेस्ट रिजल्ट मिल जाएंगे। इस किट को पुणे के ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने क्लीनिकल मान्यता दे दी है। सेंट्रल प्रोटेक्शन ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने इस किट को बनाने की मंजूरी दे दी है।
भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए RT-PCR किट डेवलप, WHO ने इसे घोषित किया हेल्थ इमरजेंसी, जानिए पूरा मामला
वहीं, सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हरिहरन सुब्रमण्यन ने कहा कि सटीक और सही डायग्नॉस्टिक्स की आवश्यकता आज के समय में जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी पहले कभी नहीं रही। यह किट सिर्फ 40 मिनट में रिजल्ट देगी, जो कि 1-2 घंटे में रिजल्ट देने वाले पारंपरिक तरीकों के मुकाबले कहीं तेज है। इस किट की मदद से मंकीपॉक्स का पता लगाने में लगने वाला समय कम होगा, जिससे इलाज में भी तेजी आएगी। IMDX मंकीपॉक्स RTPCR किट भारतीय वैधानिक दिशानिर्देशों के तहत बनाई गई है और ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक है। साथ ही, सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने बताया है कि यह RT-PCR किट वडोदरा स्थित कंपनी की मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में बनाई जाएगी। इस यूनिट की एक साल में 10 लाख किट बनाने की क्षमता है। फैक्ट्री इन RT-PCR किट को उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। कंपनी ने कहा कि यह RT-PCR किट मॉलिक्यूलर टेस्ट है जो वायरस के जीनोम में दो अलग क्षेत्रों को टारगेट करता है, जिससे क्लेड-I और क्लेड-II दोनों वेरिएंट का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट किट अलग-अलग वायरल स्ट्रेन्स का पूरी तरह से पता लगाने और व्यापक रिजल्ट देने की क्षमता रखता है।खासतौर से यह किट किसी भी प्लेटफॉर्म पर काम कर सकती है और और स्टैंडर्ड PCR सेटअप के साथ मौजूदा लैब फ्लोवर्क में आसानी से फिट हो जाती है। इससे किसी नए इंस्ट्रूमेंट की जरूरत नहीं होती। मौजूदा कोविड टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करने से इसकी क्षमता में इजाफा होगा।