महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के 8 नए केस मिले, यह एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी, जानिए पूरा मामला

महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के 8 नए केस मिले। इनमें 6 प्रेग्नेंट महिलाएं शामिल है। पुणे नगर निगम के मुताबिक, जून से अब तक करीब 81 मामले सामने आए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि, अब तक इस वायरस से 4 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि ये सभी मरीज अन्य बीमारियों से भी ग्रसित थे। आपको बता दें, जीका वायरस एडीज मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। इसमें ऑर्गेनिज्म हमारी कोशिकाओं का इस्तेमाल करके अपनी ढेर सारी कॉपीज बना लेता है। इस बीमारी के साथ मुश्किल यह है कि ज्यादातर संक्रमित लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसके बावजूद यह गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इस वायरस के कारण भ्रूण का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है।

जीका से पीड़ित ज्यादातर लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, जीका वायरस से संक्रमित केवल 5 में से 1 व्यक्ति में ही लक्षण दिखाई देते हैं। जो लक्षण नजर आते हैं, वे इतने कॉमन हैं कि यह अंदाज लगा पाना मुश्किल हो जाता है कि यह जीका वायरस के कारण ही है। जीका वायरस सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है। यह वायरस महिला के भ्रूण को भी संक्रमित कर सकता है और उसके विकास को बाधित कर सकता है। गर्भवती महिला में जीका वायरस प्लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकता है। जीका के कारण बच्चा माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात मेडिकल कंडीशन के साथ पैदा हो सकता है। माइक्रोसेफली का मतलब यह हो सकता है कि बच्चे का मस्तिष्क ठीक से विकसित नहीं हुआ है। इन बच्चों का सिर भी देखने में औसत से छोटा होता है।

आपको बता दें, जीका वायरस का यह नाम युगांडा के जीका जंगलों के नाम पर पड़ा है। 1947 में इसी जंगल में पहली बार बंदरों को आइसोलेट किया गया था। पांच साल बाद 1952 में युगांडा और तंजानिया में यह पहली बार इंसानों में पाया गया। 2007 में फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया के आइलैंड यप में जीका वायरस पहली बार फैला। 2013 में जीका वायरस बड़े स्तर पर फ्रेंच पॉलीनेशिया और उसके आसपास छोटे-छोटे देशों में फैला था। 1952-53 में भारत में पहली बार जीका वायरस के केस पाए गए थे। मई 2017 में गुजरात के अहमदाबाद जिले के बापूनगर इलाके में तीन मामले मिले थे। जुलाई 2017 में तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में भी एक केस मिला था। 2020 में केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में भी 20 से ज्यादा मामले सामने आए थे।

इसके लक्षण –

  • जन्मजात जीका सिंड्रोम: बच्चे के जन्म के समय ही कई कंडीशन दिख सकती हैं। इसमें गंभीर माइक्रोसेफली, हल्की चपटी खोपड़ी, मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की कमी, कमोजर आंखें, जोड़ों की समस्याएं और हाइपरटोनिया जैसी समस्याएं शामिल हैं।
  • मस्तिष्क का पूर्ण विकास न होना: इसमें न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, मस्तिष्क में फोल्ड्स न होना, मस्तिष्क में कुछ संरचनाओं का न होना और ब्रेन एट्रॉफी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
  • सेरेब्रल पाल्सी: सेरेब्रल हमें ब्रेन और बाकी अंगों के बीच कोऑर्डिनेशन की क्षमता देता है और यह हमारी मसल्स को कंट्रोल करता है। अगर सेरेब्रल पाल्सी की समस्या है तो इन क्षमताओं में कमी आ जाती है।
  • इनके अलावा दृष्टि या श्रवण संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है।