कोरोना महामारी अपने साथ दुनिया भर में एक भयानक आर्थिक संकट लेकर आई है और सऊदी अरब इसका अपवाद नहीं है। सऊदी अरब दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है, लेकिन यहां भी, आने वाले दिनों में लोगों का जीवन कठिन हो रहा है। सऊदी अरब अब निजी क्षेत्र की कंपनियों को वेतन में 40 फीसदी की कटौती करने की अनुमति देने जा रहा है। प्रमुख अरब अखबार अशरक अल-अवासत के अनुसार, आर्थिक संकट को देखते हुए सऊदी अरब में काम करने वाले लोगों के अनुबंध भी समाप्त किए जा सकते हैं।
सऊदी अरब के एक निर्णय से लाखों भारतीयों को होगा नुकसान !
अगले 6 महीनों के लिए अजवाइन में 40% की कटौती होगी !
सऊदी अरब में 2.6 मिलियन भारतीय रहते हैं और इस फैसले का उन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। अखबार ने सोमवार को बताया कि सऊदी अरब के मानव और सामाजिक विकास मंत्रालय ने श्रम कानूनों में बदलाव का आह्वान किया था। इन परिवर्तनों के बाद, नियोक्ता अगले 6 महीनों के लिए अपने कर्मचारियों के वेतन में 40% की कटौती कर सकता है।
साथ ही कर्मचारियों का अनुबंध रद्द करने का अधिकार भी !
नए नियमों के तहत कोरोना वायरस के प्रकोप के 6 महीने बाद कंपनियों को कर्मचारी अनुबंध रद्द करने का भी अधिकार होगा। हालांकि, नियोक्ताओं को एक अनुबंध को समाप्त करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके लिए उन्हें सरकारी सब्सिडी मिलती रहेगी जैसे कि मजदूरी में मदद या सरकारी करों से छूट। अनुबंध को समाप्त करने के लिए तीन शर्तें भी रखी गई हैं।
तीन शर्तें !
ये तीन स्थितियां हैं, चाहे वेतन काटने के निर्णय के 6 महीने हो गए हों, चाहे कर्मचारी के सभी अवकाश समाप्त हो गए हों या कंपनी को यह साबित करना पड़े कि कोरोना महामारी के कारण उसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। अशरक अल-अस्वत की रिपोर्ट के अनुसार, कैबिनेट के निर्णय को अभी तक सऊदी अरब सरकार द्वारा सील नहीं किया गया है। सरकार की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा।
भारत प्रेषण खो देगा !
सऊदी अरब में भारत के राजदूत आसुफ सैयद ने भी एक साक्षात्कार में कहा कि खाड़ी में काम करने वाले भारतीय अपनी नौकरी खो सकते हैं और भारत को विप्रेषण का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहां विदेशों में रहने वाले नागरिक सबसे अधिक पैसा घर भेजते हैं। भारतीयों ने पिछले साल रिकॉर्ड 83 अरब डॉलर का घर भेजा।
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