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मुंबई की चकाचौंध में नागपुर के देवेंद्र फडणवीस हुए गुम

30 मार्च,
नागपुर, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हालांकि, फडणवीस पांच साल मुख्यमंत्री और अब विपक्ष का नेता नियुक्त होने के बाद से मुंबई की चकाचौंध में पूरी तरह से खो कर विदर्भ और नागपुर को भूल गए हैं। फडणवीस पर यह तंज महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कसा है।
इस संबंध में बोलते हुए अतुल लोंढे ने आगे कहा कि देवेंद्र फडणवीस विदर्भ के नेता हैं।
स्वतंत्र विदर्भ का मसला हो या विदर्भ का कोई और अहम मुद्दा, वह लगातार इसके पक्ष में आवाज उठाते थे। इस वजह से नागपुर दक्षिण पश्चिम के लोगों ने भी उन पर विश्वास किया और राज्य की राजनीति में उनके प्रतिनिधि के रूप में उनका समर्थन किया। लेकिन पिछले ढाई साल में फडणवीस ने विदर्भ में धान का मुद्दे के अलावा युवाओं के रोजगार और अन्य बंद पड़ी परियोजना को फिर से शुरू करने के लिए कोई पहल नहीं की है। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने दो सप्ताह से अधिक समय तक नागपुर में अधिवेशन नहीं किया। अब वे विदर्भ और नागपुर को भूल चुके हैं और मुंबई और दिल्ली में राजनीति कर रहे हैं। अतुल लोंढे ने कहा कि इस तरह देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर और विदर्भ के लोगों का भरोसा तोड़ा है और अब उन्हें मुंबई से चुनाव लड़ना चाहिए न कि नागपुर से। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता होने की वजह से फडणवीस से यह उम्मीद की गई थी, वे विदर्भ के मुद्दों को जोर –शोर से उठाएंगे लेकिन उन्होंने यहां के लोगों को निराश किया है। फडणवीस ने स्वतंत्र विदर्भ का मुद्दा केवल मुख्यमंत्री बने रहने के लिए इस्तेमाल किया और अब उन्होंने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। इस तरह से फडणवीस ने विदर्भ को धोखा दिया है। विपक्ष के नेता के रूप में, उन्होंने आरोपों का खंडन करने के अलावा और कुछ नहीं किया है। उन्होंने हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में विदर्भ का कोई मुद्दा नहीं उठाया। अतुल लोंढे ने कहा कि विदर्भ और नागपुर के लोग फडणवीस की इस चाल को समझ गए हैं और वे इस अपमान को कभी नहीं भूलेंगे।

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