जन्म: 14 अप्रैल, 1891
निधन: 6 दिसंबर, 1956
पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर
उपनाम (s) बाबासाहेब, भीम और अम्बेडकर
पेशे (एस) के अर्थशास्त्री, सामाजिक सुधारक, राजनीतिज्ञ
भारतीय संविधान के जनक के लिए प्रसिद्ध
शारीरिक आँकड़े और अधिक
आंखों का रंग काला
बालों का रंग काला
राजनीति
राजनीतिक पार्टी स्वतंत्र श्रमिक पार्टी
बी.आर अम्बेडकर की स्वतंत्र श्रमिक पार्टी
राजनीतिक यात्रा • उन्होंने 1936 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 15 अगस्त 1936 को उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी ‘स्वतंत्र पार्टी’ की स्थापना की। ‘
• उनकी पार्टी ने केंद्रीय विधान सभा चुनाव में भाग लिया और 14 सीटें जीतीं।
• कुछ समय बाद उन्होंने ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन नाम से अपनी लेबर पार्टी बदली।
• वह दो बार लोकसभा चुनाव में भी शामिल हुए लेकिन वह हार गए।
व्यक्तिगत जीवन
जन्म तिथि 14 अप्रैल 1891
जन्मस्थान महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब मध्य प्रदेश, भारत में)
मृत्यु की तारीख 6 दिसंबर 1956
डेथ का स्थान दिल्ली, भारत
आयु (मृत्यु के समय) 65 वर्ष
मधुमेह के कारण मृत्यु
राशि चक्र पर हस्ताक्षर/सूर्य मेष राशि
हस्ताक्षर बी आर अंबेडकर के हस्ताक्षर
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर महू, मध्य प्रदेश, भारत
स्कूल (एस) • मध्य प्रदेश के महू में एक सरकारी स्कूल
• एल्फिंस्टन हाई स्कूल, बॉम्बे (अब, मुंबई)
कॉलेज/विश्वविद्यालय • एलफिंस्टन कॉलेज, मुंबई
• कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क शहर
• लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स
• बॉन विश्वविद्यालय, जर्मनी
• ग्रेन्स इन, बार कोर्स के लिए लंदन
शैक्षिक योग्यता (ओं) • कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री
• D.Sc. लंदन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में
• पीएच.डी. 1927 में अर्थशास्त्र में
धर्म • हिंदू धर्म
जाति दलित महार
शौक पढ़ना, लिखना, खाना बनाना
फूड हैबिट नॉन-वेजिटेरियन
1990 में पुरस्कार, सम्मान, उपलब्धियां भारत रत्न
प्रसिद्ध उद्धरण • पति और पत्नी के बीच संबंध निकटतम दोस्तों में से एक होना चाहिए।
• पुरुष नश्वर हैं। तो विचार हैं। एक विचार को प्रसार की आवश्यकता होती है जितना एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझा जाएंगे और मर जाएंगे।
• एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति से अलग है कि वह समाज का नौकर बनने के लिए तैयार है।
• जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं करते हैं, तब तक कानून द्वारा जो भी स्वतंत्रता प्रदान की जाती है, उससे आपको कोई फायदा नहीं है।
• राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है और एक सुधारक जो समाज को बदनाम करता है वह सरकार को धता बताने वाले राजनेता की तुलना में अधिक साहसी आदमी है।
• हर आदमी जो मिल की हठधर्मिता को दोहराता है कि एक देश किसी दूसरे देश पर शासन करने के लिए फिट नहीं है, को यह स्वीकार करना होगा कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन करने के लिए फिट नहीं है।
• जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।
• मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।
हवाई अड्डे के नाम पर संस्थान/स्थान:
• बाबासाहेब अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
पुरस्कार और पुरस्कार:
भारत सरकार द्वारा
• डॉ। अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
• डॉ। अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार
• डॉ। बी.आर. अंबेडकर रतन पुरस्कार
रिश्ते और अधिक
वैवाहिक स्थिति: विवाहित
परिवार
पत्नी/जीवनसाथी की पहली पत्नी: रमाबाई अम्बेडकर (एम। 1906-1935) (जब तक उनकी पत्नी है)
अपनी पहली पत्नी रमाबाई अंबेडकर के साथ बी आर अंबेडकर
दूसरी पत्नी: सविता अम्बेडकर (एम। 1948-1956)
बी आर अम्बेडकर अपनी दूसरी पत्नी सविता के साथ
बच्चे सोन (s) – राजरत्न अम्बेडकर (निधन), यशवंत अम्बेडकर (रमाबाई अम्बेडकर से)
बेटी-इंदु (निधन)
माता पिता-रामजी मालोजी सकपाल (सेना अधिकारी)
माता-भीमाबाई सकपाल
अम्बेडकर के माता-पिता बी
भाई-बहन भाई (एस) – बलराम, आनंदराव
बहन (ओं) – मंजुला, तुलसी, गंगाबाई, रमाबाई
मनपसंद चीजें
पसंदीदा भोजन (ओं) सादा चावल, अरहर की दाल, चिकन, मछली
पसंदीदा पुस्तक (ओं) लियो टॉल्स्टॉय द्वारा टॉल्स्टॉय का जीवन, थॉमस हार्डी द्वारा मैडिंग क्राउड से दूर
पसंदीदा व्यक्ति (गौतम बुद्ध), राजा हरिश्चंद्र (भारतीय राजा)
पसंदीदा पशु कुत्ता
पसंदीदा रंग नीला
उपलब्धियां: स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना करने के लिए संविधान सभा द्वारा गठित ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष चुने गए, भारत के प्रथम कानून मंत्री, 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत में दलितों और पिछड़े वर्ग के मसीहा के रूप में देखा जाता है। वह 1947 में स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए संविधान सभा द्वारा गठित ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान को तैयार करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भीमराव अम्बेडकर भारत के प्रथम कानून मंत्री भी थे। देश के प्रति
अतुलनीय सेवाओं के लिए वर्ष 1990 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक जीवन
डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को म्हो (वर्तमान मध्य प्रदेश में) में हुआ था। वह रामजी और भीमाबाई सकपाल अम्बेडकर की चौदहवीं संतान थे। भीमराव अम्बेडकर अछूत
महार जाति के थे। उनके पिता और दादा ब्रिटिश सेना में कार्यरत थे। उन दिनों सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सेना के सारे कर्मचारी और उनके बच्चे शिक्षित किये जांए और इसके लिए एक विशेष विद्यालय चलाया गया। इस विशेष विद्यालय के कारण भीमराव की अच्छी शिक्षा सुनिश्चित हो गई अंन्यथा अपनी जाति के कारण वो इससे वंचित रह जाते। भीमराव अम्बेडकर ने बचपन से ही जातिगत भेदभाव का अनुभव किया। भीमराव के पिता सेवानिवृत होने के बाद सतारा महाराष्ट्र में बस गए। भीमराव का स्थानीय विद्यालय में दाखिला हुआ। यहाँ उन्हें कक्षा के एक कोने में फर्श पर बैठना पड़ता था और अध्यापक उनकी कापियों को नहीं छूते थे। इन कठिनाइयों के बावजूद भीमराव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और पूर्ण सफलता के साथ 1908 में बंबई विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। भीमराव अम्बेडकर ने आगे की शिक्षा हेतु एल्फिंस्टोन कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 1912 में उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उन्हें बड़ौदा में एक नौकरी मिल गई। वर्ष 1913 में भीमराव अम्बेडकर के पिता का निधन हो गया और उसी साल बड़ौदा के महाराजा ने उन्हें छात्रवत्ति से सम्मानित किया और आगे की पढाई के लिए अमेरिका भेजा। जुलाई 1913 में भीमराव न्यूयॉर्क पहुंचे। भीमराव को उनके जीवन में प्रथम बार महार होने की वजह से नीचा नहीं देखना पड़ा। उन्होंने अपने आप को पूर्ण रूप से
पढाई में मशगूल कर लिया और मास्टर ऑफ़ आर्ट्स की डिग्री और 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अपने शोध ” नेशनल डिविडेंड फॉर इंडिया: अ हिस्टोरिकल एंड एनालिटिकल स्टडी” के
लिए दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अम्बेडकर अर्थशास्त्र और राजनिति विज्ञान की पढाई के लिए अमेरिका से लंदन गए पर बड़ौदा सरकार ने उनकी छात्रवत्ति समाप्त कर दी और उन्हें वापस बुला लिया। कैरियर बड़ौदा के महाराज ने डॉ. अम्बेडकर को राजनितिक सचिव के रूप में नियुक्त किया। पर कोई भी उनके आदेशों को नहीं मानता था क्योंकि वो महार थे। भीमराव अम्बेडकर नवंबर 1924 को बम्बई लौट आये। कोल्हापुर के शाहू महाराज की सहायता से उन्होंने 31 जनवरी 1920 को एक साप्ताहिक अख़बार “मूकनायक” प्रारम्भ किया। महाराजा ने भी “अछूत” की कई बैठकों और सम्मेलनों को संचालित किया जिसे भीमराव ने सम्बोधित किया। सितम्बर 1920 में पर्याप्त धनराशि जमा करने के बाद अम्बेडकर अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लंदन गए। वहां जाकर उन्होंने वकालत की पढाई की। लंदन में अपनी पढ़ाई खत्म करने के पश्चात अम्बेडकर भारत लौट आये। जुलाई 1924 में उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। इस सभा का उद्देश्य सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर दलितों का उत्थान कर भारतीय समाज में दूसरे वर्गों के समकक्ष लाना था। उन्होंने अछूतों को सार्वजनिक टंकी से पानी निकालने का अधिकार देने के लिए बम्बई के पास
कोलाबा में चौदर टैंक पर महद मार्च का नेतृत्व किया और सार्वजनिक रूप से ‘मनुस्मृति’ की प्रतियां जलाईं।
1929 में अम्बेडकर ने भारत में एक जिम्मेदार भारत सरकार की स्थापना पर विचार करने के लिए ब्रिटिश कमीशन के साथ सहयोग का एक विवादास्पद निर्णय लिया। कांग्रेस ने आयोग
का बहिष्कार करने का फैसला किया और आज़ाद भारत के एक संविधान के संस्करण की रूप रेखा तैयार की। कांग्रेस के संस्करण में दलित वर्गों के लिए कोई प्रावधान नहीं था। अम्बेडकर दलित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के कारण कांग्रेस के लिए उलझन बन गए। जब रामसे मैकडोनाल्ड ‘सांप्रदायिक अवार्ड’ के तहत दलित वर्गों के लिए एक अलग निर्वाचिका की घोषणा की गई तब गांधीजी !
जब रामसे मैकडोनाल्ड ‘सांप्रदायिक अवार्ड’ के तहत दलित वर्गों के लिए एक अलग निर्वाचिका की घोषणा की गई तब गांधीजी इस फैसले के खिलाफ आमरण भूख हड़ताल पर बैठ गए। नेताओं ने डॉ. अम्बेडकर को अपनी मांग को छोड़ने के लिए कहा। 24 सितम्बर 1932 को डॉ. अम्बेडकर और गांधीजी के बीच एक समझौता हुआ जो प्रशिद्ध ‘पूना संधि’ के नाम से जाना जाता है। इस संधि के अनुसार अलग निर्वाचिका की मांग को क्षेत्रीय विधान सभाओ और राज्यों की केंद्रीय परिषद में आरक्षित सीटों जैसी विशेष रियायतों के साथ बदल दिया गया।
डॉ. अम्बेडकर ने लंदन में तीनों राउंड टेबल कांफ्रेंस में भाग लिया और अछूतों के कल्याण के लिए जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। इस बीच, ब्रिटिश सरकार ने 1937 में प्रांतीय चुनाव कराने का फैसला किया। डॉ बी.आर. अम्बेडकर ने बंबई प्रांत में चुनाव लड़ने के लिए अगस्त 1936 में “स्वतंत्र लेबर पार्टी ‘की स्थापना की। वह और उनकी पार्टी के कई उम्मीदवार बंबई विधान सभा के लिए चुने गए।
1937 में डॉ. अम्बेडकर ने कोंकण क्षेत्र में पट्टेदारी की “खोटी” प्रणाली को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पास करवाया। इस के द्वारा भूपतियों की दासता और सरकार के गुलाम बनकर काम करने वाले महार की “वतन” प्रणाली को समाप्त किया गया। कृषि प्रधान बिल के एक खंड में दलित वर्गों को “हरिजन” के नाम से उल्लेखित किया गया। भीमराव ने अछूतों के लिए इस शीर्षक का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा की यदि “अछूत” भगवान के लोग थे तो सभी दूसरे राक्षसों के लोग रहे होंगे। वह ऐसे किसी भी सन्दर्भ के खिलाफ थे। पर इंडियन राष्ट्रीय कांग्रेस हरिजन नाम रखने में सफल रही। अम्बेडकर को बहुत दुःख हुआ कि जिसके लिए उन्हें बुलाया गया उस बात को उन्हें कहने ही नहीं दिया गया
1947 में जब भारत आजाद हुआ तब प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को कानून मंत्री के रूप में संसद से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया। संविधान सभा की एक समिति को संविधान की रचना का काम सौंपा गया और डॉ. अम्बेडकर को इस समिति का अध्यक्ष चुना गया। फरवरी 1948 को डॉ. अम्बेडकर ने भारत के लोगों के समक्ष संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे 26 जनवरी 1949 को लागू किया गया।
अक्टूबर 1948 में डॉ. अम्बेडकर ने हिन्दू कानून को सुव्यवस्थित करने की एक कोशिश में हिन्दू कोड बिल संविधान सभा में प्रस्तुत किया। बिल को लेकर कांग्रेस पार्टी में भी काफी मतभेद थे। बिल पर विचार के लिए इसे सितम्बर 1951 तक स्थगित कर दिया गया। बिल को पास करने के समय इसे छोटा कर दिया गया। अम्बेडकर ने उदास होकर कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया।
24 मई 1956 को बम्बई में बुद्ध जयंती के अवसर पर उन्होंने यह घोषणा की कि वह अक्टूबर में बौद्ध धर्म अपना लेंगे। 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने अपने कई अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को गले लगा लिया। 6 दिसंबर 1956 को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर परलोक सिधार गए।
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