एंटी टेरर लॉ केस में जेल में बंद न्यूज क्लिक के फाउंडर प्रबीर की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अवैध, जानिए पूरा मामला

एंटी टेरर लॉ केस में जेल में बंद न्यूज क्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया और रिहाई का आदेश दिया। प्रबीर और न्यूज क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को चीन से फंडिंग के आरोप में पिछले साल 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अमित सरकारी गवाह बन गए थे। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस मेहता की बेंच ने कहा कि हमें यह कहते हुए कोई हिचकिचाहट नहीं है कि पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया। रिमांड ऑर्डर भी अवैध है। इसलिए प्रबीर को रिहा किया जाना चाहिए। न्यूज क्लिक की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी थीं। आपको बता दें, दिल्ली पुलिस की FIR के मुताबिक, न्यूज क्लिक पर चीनी प्रोपगैंडा फैलाने और देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा पुरकायस्थ पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म के साथ साजिश रचने का आरोप है।

तो वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पंकज बंसल बनाम भारत संघ मामले में दिए फैसले में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 22 और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) की धारा 19(1) को सही अर्थ और उद्देश्य देने के लिए गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना बिना किसी अपवाद के दी जानी चाहिए। रियल एस्टेट समूह M3M के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंकज बंसल और बसंत बंसल को ईडी ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय ED अधिकारी ने गिरफ्तारी के आधार मौखिक रूप से बताए थे। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार सिर्फ पढ़कर सुनाने या उसे पढ़ने के लिए देने से कॉन्सिटिट्यूशनल और लीगल प्रोटेक्शन का उद्देश्य पूरा नहीं होता। कोर्ट के मुताबिक जमानत पाने के लिए आरोपी को यह साबित करना होता है कि उसकी गिरफ्तारी उचित आधार पर नहीं हुई है। इसके लिए जरूरी है कि गिरफ्तार व्यक्ति गिरफ्तारी के आधार से पूरी तरह अवगत हो। मतलब जब व्यक्ति को गिरफ्तारी का आधार पता होगा तभी वह जमानत के लिए अदालत में दलील देने की स्थिति में होगा। सेंसिटिव केसेज के लिए कोर्ट ने यह भी कहा अगर गिरफ्तारी के आधार में किसी तरह की संवेदनशील जानकारी है, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है तो उस हिस्से को हटाकर गिरफ्तारी के आधारों की एडिटेड कॉपी दी जानी चाहिए। इससे जांच की शुचिता की रक्षा की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ठीक उसी दिन यानी 3 अक्टूबर 2023 को आया था, जिस दिन प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी हुई थी।