भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इसलिए वह टूलकिट गिरोह के साथ मिलकर भारतीय शेयर बाजार को खत्म करना चाहती है। रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, हिंडनबर्ग के मेन इन्वेस्टर अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी और टूलकिट गैंग हैं। राहुल गांधी उनके एजेंट हैं। राहुल, पीएम मोदी से नफरत करते-करते देश से नफरत करने लगे हैं। साथ ही, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र शुरू होता है, उसी समय ऐसे आरोप सामने आते हैं। पीएम पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।
बीजेपी ने कहा, राहुल हिंडनबर्ग रिपोर्ट से फैला रहे झूठ, ये बाजार खत्म करने की साजिश, जानिए पूरा मामला
दरअसल, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगे आरोपों के बाद राहुल गांधी ने पूछा था कि अगर निवेशकों को नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। PM जेपीसी जांच से क्यों डरते हैं, यह अब पूरी तरह साफ हो गया है। आपको बता दें, हिंडनबर्ग ने बीते दिन एक रिपोर्ट जारी कर सेबी चेयरपर्सन पर आरोप लगाए की एक फंड है ग्लोबल डायनमिक अपॉर्चुनिटी फंड (GDOF) जिसे गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ऑपरेट करते हैं और इस फंड की मदद से वो अडाणी ग्रुप के शेयरों के दाम बढ़ाते थे। GDOF अपना पैसा एक और फंड IPE प्लस फंड 1 में डालता था। IPE प्लस फंड 1 भी अडाणी के स्टॉक्स में ट्रेड करता था। आरोप है कि सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल ने इन दोनों फंड में इन्वेस्टमेंट किया है। हिंडनबर्ग ने कहा सेबी ने इन फंड्स की जांच अच्छे से नहीं की क्योंकि इसमें माधबी का निवेश था। IPE प्लस फंड’ मॉरीशस बेस्ड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है। अब IIFL का नाम 360 वन हो गया है। IIFL वही कंपनी है जिस पर वायरकार्ड फ्रॉड के समय भी आरोप लगे थे। वायरकार्ड एक जर्मन कंपनी है। बुच 16 मार्च 2022 तक एगोरा पार्टनर्स सिंगापुर की 100% शेयरधारक बनी रहीं और सेबी के मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह इसकी मालिक रहीं। सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के 2 हफ्ते बाद उन्होंने अपने शेयर अपने पति के नाम ट्रांसफर किए। अप्रैल 2019 में भारत में लॉन्च हुए सबसे पहले REIT ‘एम्बेसी’ को ब्लैकस्टोन ने स्पॉन्सर किया था। ब्लैकस्टोन को धवल बुच ने इस सेक्टर में बिना किसी एक्सपीरियंस के 3 महीने बाद सीनियर एडवाइजर के तौर पर जॉइन किया। तब माधबी बुच सेबी मेंबर थीं। ब्लैकस्टोन के सलाहकार के रूप में धवल के कार्यकाल के दौरान, सेबी ने REIT के रेगुलेशन में बड़े बदलाव किए। ब्लैकस्टोन दुनिया की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या माधबी ने उस कंपनी को मदद पहुंचाई जिसमें उनके पति सलाहकार थे।
तो वहीं, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों को बाजार नियामक SEBI और अडाणी समूह ने बेबुनियाद बताया है। SEBI ने रविवार को कहा कि उसने SEBI समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है। वहीं, SEBI के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया। रिपोर्ट पर आए SEBI चीफ के बयान पर हिंडनबर्ग ने कहा, हमारी रिपोर्ट पर माधबी बुच के रिएक्शन से कई नए सवाल खड़े हुए हैं। बुच का बयान विनोद अडाणी के कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ-साथ एक अस्पष्ट फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडाणी ग्रुप के डायरेक्टर थे। साथ ही, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा है, SEBI प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। SEBI प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया। ग्रुप ने कहा, हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।