अमित शाह का ताल्लुक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से है और वो इस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं. शाह के दम पर बीजेपी ने कई ऐसे राज्यों में चुनाव जीते हैं, जहां पर इस पार्टी की पकड़ बिलकुल मजबूत नहीं थी. शाह भारतीय राजनीति से कई सालों से जुड़े हुए हैं और आज वो अपनी पार्टी में जिस पद पर पहुंचे हैं. उस पद तक पहुंचने के लिए शाह ने खूब मेहनत की है.
Amit Shah Biography in Hindi | अमित शाह जीवन परिचय
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह को नरेंद्र मोदी की नई सरकार में अमित शाह को गृह राज्य मंत्री का कार्यभार दिया गया है.
जीवन परिचय | |
---|---|
वास्तविक नाम | अमितभाई अनिलचन्द्र शाह |
उपनाम | अमित |
व्यवसाय | भारतीय राजनेता |
पार्टी/दल | भारतीय जनता पार्टी |
राजनीतिक यात्रा | 1983: में वह आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता बने। 1987: में वह भाजपा के यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के एक कार्यकर्ता बने। 1991: में उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान गांधीनगर में लालकृष्ण आडवाणी के लिए अभियान चलाया। 2009: में उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। 2014: में वह भाजपा के अध्यक्ष बने । |
मुख्य प्रतिद्वंदी | राहुल गांधी (कांग्रेस), लालू प्रसाद यादव (आर.जे.डी) |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई | से० मी०- 168 मी०- 1.68 फीट इन्च- 5’ 6” |
वजन/भार (लगभग) | 81 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | काला |
बालों का रंग | सफेद |
व्यक्तिगत जीवन | |
जन्मतिथि | 22 अक्टूबर 1964 |
आयु (2016 के अनुसार) | 52 वर्ष |
जन्मस्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
राशि | तुला |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | मेहसाना, गुजरात, भारत |
स्कूल/विद्यालय | ज्ञात नहीं |
कॉलेज/महाविद्यालय/विश्वविद्यालय | सी.यू शाह साइंस कॉलेज, अहमदाबाद |
शैक्षिक योग्यता | विज्ञान में स्तानक (बीएससी- बायोकेमिस्ट्री) |
राजनीतिक आरम्भ | अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (1983) में आरएसएस की छात्र शाखा के नेता बने। |
परिवार | पिता – अनिलचन्द्र शाह माता– ज्ञात नहीं भाई– ज्ञात नहीं बहन– ज्ञात नहीं |
धर्म | हिन्दू |
पता | दिल्ली |
शौक/अभिरुचि | पढ़ना, क्रिकेट देखना, सामाजिक सेवा |
विवाद | • 2010 में उन्हें हत्या और जबरन वसूली जैसे आरोपों के लिए गिरफ्तार किया गया, और जिसकी वजह से उनके गुजरात के मुख्यमंत्री बनने की संभावना ख़तम हो गई, उनके गुजरात में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई,लेकिन 2012 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात में प्रवेश करने की अनुमति दे दी। •उनके ऊपर “फर्जी एनकाउंटर मामले” के आरोप भी लाग चुके हैं। सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उनके दोस्त तुलसीराम प्रजापति की हत्याओं में भी अमित शाह आरोपित रहे हैं। सीबीआई ने कहा कि दो राजस्थानी व्यवसायियों (Businessman) ने सोहराबुद्दीन से छुटकारा पाने के लिए अमित शाह को भुगतान किया था। • वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सबूतों को नष्ट करने और और गवाहों को प्रभावित करने का आरोप भी अमित शाह पर लगा। इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह का नाम आया उनके ऊपर आरोप था की उन्होंने गैर क़ानूनी तरीके से एक महिला की जासूसी करवाई। |
पसंदीदा चीजें | |
पसंदीदा भोजन | पोहा |
पसंदीदा राजनेता | नरेंद्र मोदी |
प्रेम संबन्ध एवं अन्य | |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | सोनल शाह |
बच्चे | बेटा – जय शाह बेटी – लागू नहीं |
धन संबंधित विवरण | |
आय | ज्ञात नहीं |
संपत्ति (लगभग) | 34 करोड़ (2014 अनुसार ) |
- 2019 लोक सभा चुनाव में अमित शाह का रोल (Amit Shah in General Election 2019)
मोदी जी के दायां हाथ कहे जाने वाले अमित शाह जी ने सन 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, जिसमे उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डॉ. सी. जे. चावड़ा को पीछे छोड़ते हुए 5 लाख से भी अधिक वोट्स के मार्जिन से जीत हासिल की हैं, जिसके चलते उन्होंने लाल कृष्ण अडवाणी के 4.83 लाख वोट्स का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं कांग्रेस के डॉ. सी. जे. चावड़ा के बीच था. जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी ने जीत हासिल की. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक अमित शाह जी ने 69.7 % वोट्स प्राप्त किये. यानि इसमें अमित शाह जी को लगभग 8,80,000 वोट्स हासिल हुए हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अमित शाह जी ने बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी. बीजेपी का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जी की मेहनत के चलते ही नरेन्द्र मोदी जी को 303 सीट्स के साथ, पुरे देश से पूर्ण बहुमत मिला है. मोदी जी और अमित शाह की जोड़ी एक बार फिर हिट हो गई, और भारत देश में मोदी लहर की क्रांति आ गई.
काफी सारी रैलियां की थी, जिसमे उन्होंने जनता को यह विश्वास दिलाया कि मोदी जी एवं उनकी सरकार ही देश के विकास को आगे बढ़ा सकती हैं. और इस विश्वास के चलते ही चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सफलता हासिल की और गृह राज्य मंत्री का पद हासिल किया.
- साल 2019 में अमित शाह बने गृहमंत्री और लोकसभा सदस्य (Amit Shah as Minister of Home Affairs)
अमित शाह ने गृह मंत्री का पद ग्रहण करते ही सबसे पहले जम्मू कश्मीर का आतंकवाद खत्म करने की ठान ली जो कि भारत देश के लिए नासूर बन चुका था।
अमित शाह द्वारा 2019 में लिए गए बड़े फैसले
- जम्मू काश्मीर में धारा 370 ख़त्म करने का फैसला – जम्मू कश्मीर को दबाए रखने और वहां के बढ़ते हुए आतंक रोकने के लिए उन्होंने जम्मू कश्मीर में 35 ए का उन्मूलन किया और उन्होंने धारा 370 खत्म कर दी जिसके बाद जम्मू-कश्मीर का मुख्य हिस्सा भारत में जोड़ लिया गया। धारा खत्म होने के बाद वहां पर नए नियम बनाए गए और नए नियमों के अनुसार भारत में 1 राज्य और शामिल किया गया जिसके बाद जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को भी अलग कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण काम देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अंजाम दिया गया।
- एनआरसी का मुद्दा – देश को एक सबसे बड़ा झटका दिया लेकिन देश में से आतंकवाद और गैर कानूनी अपराध को कम करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया जिसे एनआरसी का नाम दिया गया। जिसके तहत उन्होंने देश से कुछ ऐसे बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की बात कही जो देश में अनाधिकृत रूप से कई सालों से रहते आए हैं और रह रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए असम में रहने वाले लोगों की नागरिकता की जांच पड़ताल की ताकि विदेशियों को पहचान कर उन्हें वापस उनके देश पहुंचाया जा सके
- नक्सलवादी का मुद्दा – भारत में कुछ राज्य ऐसे थे जहां पर नक्सलवाद को लेकर भारतीय नागरिक बेहद परेशान थे जिनमें से एक छत्तीसगढ़ में हुआ एक बहुत बड़ा धमाका था जो नक्सलवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था जिसके बाद अमित शाह ने नक्सलवादियों का उन्मूलन करके भारत से उन्हें खदेड़ कर रख दिया। उन्होंने नक्सलवादियों को यही संदेश दिया कि यदि वे देश में रहना चाहते हैं और सरकार से बचना चाहते हैं तो वे अपने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं ताकि हम उन्हें कुछ भी नहीं कहेंगे और उन्हें देश का नागरिक बना कर रखेंगे उन्होंने ऐसी रणनीति बनाई जिस पर अमल करना नक्सलवादियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया।
अमित शाह से जुड़े विवाद (Amit Shah Controversies in hindi) –
अमित शाह का राजनीति सफर इतना आसान नहीं रहा है और इनका नाम कई बार विवादों में घिरा रहा है. वहीं नीचे हमने आपको इनके साथ जुड़े कुछ विवादों के बार में जानकारी दी है.
- फर्जी एनकाउंटर का आरोप (Fake Encounter Case)– साल 2005 में गुजरात में हुए एक एनकाउंटर में तीन लोगों को आतंकवादी बताते हुए मार दिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि इस एनकाउंटर के पीछे शाह का हाथ था. इस एनकाउंटर की जांच कर रही सीबीआई ने इसे एक नकली एनकाउंटर बताया था. वहीं शाह पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पैसे लेकर ये एनकाउंटर करवाया था.
- गुजरात में प्रवेश करने पर लगी रोक (Amit Shah’s Exile)– शाह को साल 2010 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और इन पर हत्या और वसूली के आरोप लगाया गए थे. इतना ही नहीं कोर्ट ने इनको इनके राज्य से बाहर निकाल दिया था और राज्य में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि ये रोक साल 2012 में इनके ऊपर से हटाई गई थी.
- गुजरात दंगों के सबूत साफ करने का आरोप (Amit Shah’s Role In Gujarat riot) – वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों को लेकर भी शाह विवादों में घिरे रहे थे. शाह पर आरोप लगाए गए थे कि इन्होंने इस दंगे से जुड़े सबूतों की मिटाने की की कोशिश की थी. शाह पर ये भी आरोप लगा था कि इन्होंने इस केस के गवाहों को उनका बयान बदलने पर मजबूर किया था.
- महिला की जासूसी करने का आरोप – साल 2009 में शाह पर एक बार फिर विवादों में आ गए थे, जब इनपर एक महिला की जासूसी करने का आरोप लगा था. कहा जाता है कि शाह ने गैर कानूनी तरीके से और अपनी ताकत के दम पर एक महिला की जासूसी करवा रहे थे. हालांकि शाह ने इन सभी आरोपों को गलत बताया था.
अमित शाह से जुड़ी अन्य बातें-
- शाह को मिलती है जेड प्लस सुरक्षा (Amit Shah Gets Z+ Category Security) – अमित शाह का नाम उन राजनेताओं में आता हैं जिन्हें सरकार द्वार जेड प्लस सुरक्षा दी जाती है. शाह के साथ हर वक्त 25 कमांडो रहते हैं जो कि उनकी सुरक्षा करते हैं.
- साल 1982 में मिले थे मोदी से – अमित शाह और मोदी एक ही पार्टी के लिए कार्य करते हैं और ये दोनों एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त भी हैं. कहा जाता है कि साल 1982 में इन दोनों की पहली मुलाकात हुई थी, ये दोनों अहमदाबाद में आरएसएस के आयोजित हुए एक कार्यक्रम में आए थे. वहीं उस समय हुई इनकी ये छोटी से मुलाकात जल्द ही दोस्ती में बदल गई थी.
- स्टॉक ब्रोकर के तौर पर भी किया है कार्य – शाह आज भले ही राजनीति में एक जाना मान चेहरे बन गए हों, लेकिन उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में बतौर एक स्टॉक ब्रोकर भी कार्य किया था. इतना ही नहीं कहा जाता है कि शाह ने एक सहकारी बैंक में भी कुछ समय तक अपनी सेवाएं दी थी.
विवाद :
2008 में अहमदाबाद में हुए बम ब्लास्ट मामले को 21 दिनों के भीतर सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बम ब्लास्ट में 56 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। उन्होंने राज्य में और अधिक बम ब्लास्ट करने के इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के मंसूबों को भी नेस्तोनाबूद किया था। अमित शाह के नेतृत्व में 2005 में गुजरात पुलिस ने आपराधिक छवि वाले सोहराबुद्दीन शेख का एन्काउंटर किया था। इस केस में कुछ महीने पहले आईपीएस ऑफिसर अभय चूडास्मा गिरफ्तार हुए थे, जिनके बयान के बाद सीबीआई ने बताया कि राज्य सरकार जिसे एक मुठभेड़ बता रही है, सोहराबुद्दीन शेख की हत्या उसी राज्य पुलिस द्वारा की गई है।
बाद में इसक केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई का आरोप था कि शाह के इशारे पर ही फर्जी मुठभेड़ का नाटक रचा गया। धूमकेतु की तरह उठे उनके राजनीतिक कैरियर पर सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले के साथ ही ग्रहण लग गया। सोहराबुद्दीन शेख की पत्नी तथा इस केस के प्रमुख गवाह तुलसी प्रजापति की भी हत्या कर दी गई थी। इस केस की जांच कर रही राज्य पुलिस की एक शाखा सीआईडी की टीम, अमित शाह को अपनी रोज़ की रिपोर्ट सौंपती थी। उन्हीं टीम के सदस्य चूडास्मा और वंजारा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। सीआईडी द्वारा इस केस की सही जांच नहीं करने तथा कोई पुख्ता सबूत इकट्ठा नहीं करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
अमित शाह के बारे में
अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में हुआ।
सोलह वर्ष की आयु तक वह अपने पैत्रक गांव मान्सा, गुजरात में ही रहे और वहीँ स्कूली शिक्षा प्राप्त की। स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उनका परिवार अहमदाबाद चला गया। बालपन में वह सदैव महान राष्ट्रभक्तों की जीवनियों से प्रेरित हुआ करते थे, इसी प्रेरणा के फलस्वरूप उन्होंने भी मातृभूमि की सेवा करने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का स्वप्न देखा। वह विशेष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीयवादी भावना तथा उनके दृष्टांत से प्रेरित व प्रभावित हुए तथा अहमदाबाद में संघ के एक सक्रिय सदस्य बन गए। यह कदम उनके जीवन का एक ऐसा कदम था जिसने उनका जीवन सदा के लिए परिवर्तित कर दिया एवं उन्हें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व की प्रभावशाली यात्रा की और उन्मुख किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के बाद अमित भाई ने संघ की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के लिए चार वर्ष तक कार्य किया। 1984-85 में, अमित शाह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य बने।। भाजपा सदस्य बनने के बाद उन्हें अहमदाबाद के नारायणपुर वार्ड में पोल एजेंट का पहला दायित्वा सौंपा गया, तत्पश्चात् वह उसी वार्ड के सचिव बनाए गए। इन कार्यो को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद उन्हें उच्चतर दायित्वों हेतु चुना गया और भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया और तत्पाश्चात् गुजरात भाजपा के राज्य सचिव एवं उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया । अपनी इन भूमिकाओं में उन्होंने युवा राजनीतिक पार्टी के आधार विस्तार हेतु सक्रियता के साथ प्रचार कार्य किया ।
जमीनी स्तर के मुद्दों पर ध्यान देने और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ स्थायी संपर्क की योग्यताओं के बल पर उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमताओं को प्रखर किया। उनकी ये योग्यताएं तब लोगों के ध्यान में आई जब वह अहमदाबाद नगर के प्रभारी बने, उस समय उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन तथा एकता यात्रा के पक्ष में व्यापक स्तर पर जनसंपर्क किया। तदोपरान्त गुजरात में भाजपा के लिए भारी समर्थन का उभार हुआ। इन जन आंदोलनों के बाद 1989 में लोकसभा चुनाव हुए जिनमें अमित भाई को गांधीनगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के जननेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रबंधन का उत्तरदायित्व सौंपा गया । उनका यह गठबंधन ऐसा था जो अगले दो दशक जारी रहने वाला था, अमित भाई आडवाणी जी के लिए 2009 के लोकसभा चुनावों तक चुनावी रणनीति तैयार करते रहे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो अमित भाई उनके भी चुनावी प्रभारी बने। अमित भाई ने अपनी क्षमताओं के बल पर स्वयं के लिए एक दक्ष चुनाव प्रबंधक की प्रतिष्ठा अर्जित की।
1990 के दौरान गुजरात की राजनितिक उथल – पुथल ने स्थापित जनों के भाग्यों को पलट डाला और भाजपा राज्य में कांग्रेस के सामने मुख्य एवं एकमात्र विपक्षी पार्टी बन के उभरी। उस दौरान अमित भाई ने श्री नरेन्द्र मोदी के मार्ग दर्शन में (तत्कालीन गुजरात भाजपा संगठन सचिव) समग्र गुजरात में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के दस्तावेजीकरण के अति महत्व के कठिन कार्य को प्रारंभ कर उसे सफलतापूर्वक परिणाम तक पहुचाया । पार्टी की शक्ति एवं चुनावी कौशल को संचित करने की दिशा में यह उनका पहला महत्वपूर्ण कदम था । इसके पश्चात् राज्य में भाजपा को जो चुनावी विजयें प्राप्त हुई उन्होंने दर्शाया कि पार्टी को राजनैतिक मजबूती देने में कार्यकर्ताओं का जोश तथा उनकी सहभागिता कितनी महत्पूर्ण होती है। गुजरात में भाजपा की प्रथम विजय अल्पकालीन सिद्ध हुई, 1995 में सत्ता में आने वाली पार्टी की सरकार 1997 में गिर गई। किन्तु उस अल्पावधि में ही अमित भाई ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के रूप में निगम का कायापलट कर दिया और उसे स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध करवाने का महत्वपूर्ण काम किया।
भाजपा सरकार गिरने के बाद उपचुनाव में पहली बार अमित भाई का चुनावी रण में पदार्पण हुआ, उन्होंने सरखेज से विधानसभा का
चुनाव लड़ा और 25,000 मतों के अंतर से सीट जीतने में सफल रहे| मतदाताओं के विश्वास तथा जनादेश को पुनः प्राप्त करने की उत्कट आवश्यकता का अनुभव करते हुए अमित भाई ने स्वयं को प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए समर्पित कर दिया। साथ ही साथ वह विधायक के तौर पर अपना कर्तव्य भी निभाते रहे और 1998 में उन्होंने वही सीट पुनः 1.30 लाख मतों के अंतर से जीती।
अमित भाई के राजनीतिक कॅरियर की एक प्रमुख उपलब्धि है- गुजरात के सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ को तोड़ना जो कि उनके लिए चुनावी ताकत और असर का स्त्रोत था। 1998 तक सिर्फ एक सहकारी बैंक को छोड़ कर बाकी सभी सहकारी बैंकों पर कांग्रेस का नियंत्रण था। लेकिन अब यह सब बदलने वाला था, इसका श्रेय अमित भाई की राजनीतिक कुशाग्रता और लोगों को साथ में लाने की क्षमता को जाता है। उनके प्रयासों के फलस्वरूप भाजपा ने सहकारी बैंकों, दूध डेयरियों और कृषि मंडी समितियों के चुनाव जीतने शुरु किए। इन लगातार विजयों ने गुजरात में भाजपा की राजनीतिक शक्ति को स्थापित किया तथा ग्रामीण व अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के प्रभाव कायम किया। यद्धपि उनकी सफलता केवल चुनावी मामलों तक ही सीमित नहीं थी। उनकी अध्यक्षता में एशिया का सबसे बड़ा सहकारी बैंक – अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक केवल एक वर्ष के भीतर लाभकारी बन गया। एक दशक में पहली बार बैंक ने लाभांश भी घोषित किया। उनके व्यापक अनुभव और सराहनीय सफलता को देखते हुए अमित भाई को 2001 में भाजपा के सहकारिता प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया गया।
वर्ष 2002 में विधानसभा चुनावों से पूर्व अमित भाई को ’गौरव यात्रा’ का सह-संयोजक बनाया गया। जिसके बाद श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी सत्ता में आई। इस बार भी अमित भाई ने सरखेज से लगातार तीसरी बार चुनाव जीता। इस बार जीत का अंतर बढ़ कर 1,58,036 हो गया। अमित भाई को गृह, परिवहन और निषेध जैसे अहम मंत्रालयों का दायित्व सौंपा गया तथा गुजरात के गृह मंत्री के रूप में उनके काम को बहुत सराहा गया। समय के साथ-साथ उनकी लोकप्रियता और लोगों से जुड़ाव बढ़ता गया। वर्ष 2007 में सरखेज विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर अमित भाई को विजयश्री का हार पहनाया और इस बार वह 2,32,832 मतों के भारी अंतर से जीते। वह राज्य कैबिनेट पर लौटे तथा उन्हें गृह, परिवहन, निषेध, संसदीय मामले, कानून और आबकारी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार सौंपा गया।
राजनीति से हट कर दूसरे क्षेत्रों में भी अमित भाई की नीतियों की बहुतों ने प्रशंसा की। अमित भाई शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं और 2006 में वह गुजरात स्टेट चैस ऐसोसिएशन के चेयरमैन बने। उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अहमदाबाद के सरकारी स्कूलों में शतरंज को शामिल करवाया। एक अध्ययन के अनुसार, इस प्रयोग के परिणामस्वरूप विद्यार्थी ज्यादा सजग बने, उनकी एकाग्रत का स्तर बढ़ा और समस्या सुलझाने की उनकी योग्यताओं में भी सुधार हुआ। वर्ष 2007 में श्री नरेन्द्र मोदी और अमित भाई गुजरात स्टेट क्रिकेट ऐसोसिएशन के क्रमशः चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन बने तथा कांग्रेस के 16 साल के प्रभुत्व को समाप्त किया। इस अवधि में अमित भाई अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट के चेयरमैन भी रहे।
2010 का वर्ष अभूतपूर्व चुनौतियों का वर्ष था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अमित भाई पर फर्जी इनकाउंटर का आरोप लगाया तथा उन्हें कैद कर लिया गया। बाद में, उनके निरपराध होने का सत्यापन गुजरात हाई कोर्ट ने किया कि ‘‘अमित शाह के विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता’’। इस कांग्रेसी षड्यंत्र का भी वही अंजाम हुआ जो अमित भाई के साथ चुनावी मुकाबले में हुआ था। उन्हें 90 दिनों के भीतर उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और प्रतिशोध की राजनीति बुरी तरह परास्त हुई। 2015 विशेष सीबीआई अदालत ने भी अमित भाई को सभी आरोपों से इस रिमार्क के साथ मुक्त कर दिया कि यह केस ’’राजनीति से प्रेरित’’ था।
अमित भाई की चुनावी विजय अटूट बनी रही। 2012 में उन्होंने नव निर्मित नारायणपुर विधानसभा से अपनी लगातार पांचवी विजय हासिल की। इस बार वह 60,000 से अधिक वोटों से जीते जबकि परिसीमन के कारण कुल मतों की संख्या पहले के मुकाबले महज एक चौथाई रह गई थी।
पार्टी ने उनकी चुनावी प्रतिभा का सम्मान करते हुए उन्हें 2013 में भाजपा का महासचिव बनाया। 2014 में होने वाले बेहद
राजनीतिक यात्रा में यह बहुत ऊंचा पड़ाव था। अपनी विधानसभा जीत के पश्चात् अमित भाई के पास उत्सव के लिए समय बहुत कम था क्योकि आम चुनावों में भाजपा को संपूर्ण विजय दिलाने हेतु नेतृत्व का महाकाय दायित्व उनके सामने था। चुनावी गणित के महारथी अमित भाई को छोटे से छोटे आंकड़े पर गौर करने के लिए जाना जाता है और इसीलिए वह जानते थे कि केन्द्र में सरकार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में जीतना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने अगला साल उत्तर प्रदेश के हर कोने में यात्रा करते हुए बिताया, पार्टी कार्यकर्ताओं को अभिप्रेरित किया, उन्हें नई ऊर्जा दी तथा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के साथ पार्टी के विकास के एजेंडा को आगे बढ़ाया। इसका नतीजा शानदार रहा और उत्तर प्रदेश में भाजपा व उसके सहयोगियों ने 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश से मिले इस व्यापक जनसमर्थन के बल पर भाजपा ने अकेले अपने दम पर ही लोकसभा में 272 के आंकड़े को पार करके बहुमत हासिल किया।
भाजपा ने अमित भाई के समर्पण, परिश्रम और संगठनात्मक क्षमताओं को सम्मानित कर उन्हें 2014 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया। ज्यादा शक्तियों के साथ ज्यादा जिम्मेदारियां आती हैं। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अमित भाई ने पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने तथा पार्टी के सदस्यता आधार के विस्तार के लिए देश के हर राज्य का दौरा किया। उनके इस अभियान के परिणाम चकित करने वाले रहे। दस करोड़ से भी अधिक सदस्यों के साथ उन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बना दिया। भाजपा को सशक्त करने के अपने संकल्प को उन्होंने यहीं विराम नहीं दिया बल्कि पार्टी की विचारधारा के प्रसार एवं जन संपर्क बढ़ाने के लिए उन्होंने बहुत से कार्यक्रम प्रारंभ किए। इनमें से एक कार्यक्रम था “महासंपर्क अभियान” जिसका लक्ष्य नए बने सदस्यों को पार्टी की मुख्यधारा में लाकर उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय करना था।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व एवं अमित भाई की सुविचारित चुनावी रणनीतियों का ही यह परिणाम था कि बतौर पार्टी अध्यक्ष अमित भाई के कार्यकाल के पहले वर्ष में भाजपा ने पांच में से चार विधानसभा चुनावों में विजय प्राप्त की। महाराष्ट्र, झारखंड व हरियाणा में पार्टी के मुख्यमंत्री बने तथा जम्मू और कश्मीर में उप मुख्यमन्त्री के पद के साथ भाजपा गठबंधन सरकार का हिस्सा बनी।
अपनी अति-व्यस्तता एवं बहुत सारे सार्वजनिक कार्यक्रमों के बावजूद अमित भाई शास्त्रीय संगीत सुन कर और शतरंज खेल कर तरोताज़ा हो जाते हैं। समय मिलने पर वह क्रिकेट का भी आनन्द लेते हैं। रंगमंच में भी उनकी बहुत रुचि है तथा अपने विद्यार्थी जीवन में कई अवसरों पर वह मंच पर प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
amit shah cast hindi
amit shah contact details
amit shah wife
amit shah age
amit shah ki jaat kya hai
amit shah news
jay shah politician
shah kis jati me aata hai
Jasus is a Masters in Business Administration by education. After completing her post-graduation, Jasus jumped the journalism bandwagon as a freelance journalist. Soon after that he landed a job of reporter and has been climbing the news industry ladder ever since to reach the post of editor at Our JASUS 007 News.