लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए गठबंधन ने 292 सीटें जीत ली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से 20 ज्यादा है। इस जीत के बावजूद भाजपा अकेले बहुमत लाने में कामयाब नहीं रही है। पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान उसका गढ़ कहे जाने वाले हिंदी बेल्ट में ही हुआ।
आइये पढ़ते है दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित सिलसिलेवर रिपोर्ट –
उत्तरप्रदेश: 80 में से 43 सीटें सपा और कांग्रेस ने जीतीं। 80 सीटों में से 37 सपा, 33 भाजपा, 6 कांग्रेस, 2 रालोद और 1 अपना दल और एक निर्दलीय को मिली। भाजपा की 29 सीटें घटीं, सपा की 32 बढ़ीं। इसके पीछे की वजह रही कि BJP का राम मंदिर का नरेटिव फेल हो गया। भाजपा अयोध्या नगरी की लोकसभा सीट फैजाबाद 50 हजार से ज्यादा वोटों से हारी। BJP ने यहां के 7 सांसदों को इस बार टिकट नहीं दिया। इसका नुकसान भी हुआ, जबकि बसपा का 80-90% वोट INDIA की पार्टियों को गया।
राजस्थान: 25 में से 14 भाजपा को, 8 कांग्रेस ने छीनीं। अन्य के खाते में 3 सीटें गई। 2019 में भाजपा ने यहां 24 सीटें जीती थीं। 1 सीट रालोपा के पास थी। इस बार जातीय समीकरण ने भाजपा का गणित बिगाड़ दिया। आरक्षण को लेकर SC-ST में नाराजगी का असर वोटों पर हुआ। जाट-राजपूतों का गुस्सा और गुर्जर-मीणा का एक होना भी फैक्टर रहा। भाजपा का वोट शेयर 60% से घटकर 49% पर आ गया।
बंगाल: भाजपा की यहां 6 सीटें घटीं। तृणमूल की 7 सीटें बढ़ीं। 42 सीटों में से 29 पर दीदी का दबदबा रहा। भाजपा 12 पर सिमटी। कांग्रेस को एक सीट। 2019 में भाजपा 18 व TMC 22 जीती थी। बंगाल में NDA का वोट शेयर करीब 2% घटा और तृणमूल का 2% बढ़ गया। संदेशखाली का मुद्दा बेअसर रहा। INDIA का हिस्सा होने के बाद भी कांग्रेस से अलग होकर लड़ने से तृणमूल को फायदा मिला।
महाराष्ट्र: शिवसेना-NCP टूटने से कांग्रेस को बड़ा फायदा मिला, लेकिन भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। 48 सीटों में 9 भाजपा, 13 कांग्रेस, 9 शिवसेना (उद्धव), 7 शिवसेना (शिंदे), 8 NCP (शरद), 1 NCP (अजित) और 1 अन्य के खाते में गई । 2019 में 23 सीटें भाजपा, 18 शिवसेना व 4 NCP ने जीती थीं। सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को मिला। महज 17% वोट लेकर कांग्रेस यहां सबसे ज्यादा सीटें जीत गई और सबसे बड़े वोट शेयर (26%) के बावजूद भाजपा 13 सीटें गंवाकर 10 पर आ गई।
नाॅर्थ-ईस्ट : यहां के 8 राज्यों की कुल 25 सीटों में से 13 भाजपा व 7 कांग्रेस जीती। मणिपुर में भाजपा दोनों सीटें हारी। वजह-मणिपुर हिंसा।
हरियाणा: भाजपा 10 में से 5 ही सीटें बचा पाई। उसकी 5 सीटें छिन गईं। भाजपा और कांग्रेस को 5-5 सीटें मिलीं। 2019 में भाजपा ने यहां 10 सीटें जीती थीं। इसकी सबसे बड़ी वजह किसान आंदोलन, एंटी इन्कम्बेंसी और पहलवानों के विद्रोह का असर रहा। यही कारण था कि भाजपा को अपनी आधी सीटें गंवानी पड़ीं।
बिहार: जदयू के साथ से भाजपा बड़े झटके से बच गई। इंडिया का वोट शेयर 9% तक बढ़ गया। सीटें 7 हासिल कीं। कुल 40 सीटों में से 12 जदयू, 12 भाजपा, 5 लोजपा, 4 राजद, 3 कांग्रेस, 2 CPI (ML), 1-1 हम व निर्दलीय को मिलीं। 2019 में भाजपा 17, जदयू 16, लोजपा 6 और एक कांग्रेस ने जीती थी। इस बार यहां NDA का वोट शेयर 2% घट गया। चुनाव से पहले जदयू को साथ लाकर भाजपा बड़े नुकसान से बच गई।
दक्षिण: केरल में भाजपा की एंट्री, तेलंगाना में दोगुनी, आंध्र में 3 सीटें जीतीं। कर्नाटक में 8 सीटें गवां दीं। यहां की कुल 129 सीटों में भाजपा को 29, कांग्रेस को 40 सीटें गईं। तमिलनाडु की 39 में से 22 द्रमुक ने, 9 कांग्रेस और 8 सीटें अन्य पार्टियों ने जीतीं। कर्नाटक की 28 में से 17 भाजपा, 9 कांग्रेस, 2 जेडीएस को। आंध्र की 25 में 16 टीडीपी, 4 वाईएसआर, भाजपा को 3 मिलीं। केरल में कांग्रेस को 14, भाजपा को 1 सीट मिली। तेलंगाना में भाजपा, कांग्रेस को 8-8 और अन्य ने एक सीटें जीतीं। इस जीत की वजह आंध्र में TDP से भाजपा का गठबंधन रहा। केरल में चर्चित चेहरे सुरेश गोपी ने भाजपा का खाता खुलवाया। तेलंगाना में BRS का वोट भाजपा को ट्रांसफर होने से उसकी सीटें 4 से 8 हो गईं। तमिलनाडु में भाजपा को सीटें नहीं मिलीं, पर वोट शेयर बढ़ गया।
Tahir jasus